भीगी भीगी सी है दिल्ली .....
भीगी भीगी सी है दिल्ली
ऐसे मतवाले मौसम में
सोन चिरैया घर से निकली
कुछ अपनी ही धुन में भागे
बरखा की बूंदों में नाचे .......
चिड़िया मेरी छैल - छबीली
सर से पाँव तक है गीली....
न छाता ना बरसाती है ..
मन ही मन वो भरमाती है
बस बारिश की लगन लगी है
मैं बोली ओ चिड़िया रानी
नहीं चलेगी अब मनमानी
बहुत हो गया अब घर आओ
पोंछो खुद को, सूख जाओ
गरमा-गरम पकोड़े खाओ :):)
~ अर्चना
20 - 07 -2013
Thanks Surinder. Today's rain took me to the childhood days, when I used to watch little birds enjoying the rain. I know very kiddish expressions but then kids are always like this na :)
ReplyDeleteउम्दा लिखा है आपने
ReplyDeleteShukriya Salik. Aapka nazariya bhi behtar hai, mujhe hausla mila :) Waise apni poems ko jayada blogs mein share nahi karti main, bas aaj barish ne bachcha bana diya mujhe :)
ReplyDeleteरूठी चिडिया/ गुड्डा कोन मनावे?
ReplyDeleteकलकत्ता
२१-७-२०१३
गुड्डा अरचना को समर्पित
अब जो चिरईया आ हि गई है
गरम पकोडे खा हि गई है
जो गुड्डी जी गरम हुई थी
क्या ठंडी वो हो जावेगी?
गुड्डा डैडी पर गुस्सा थी
डैडूी की कुछ ना गलती थी
इक अमरीकी ट्विट्टर पे गुडिया
चहक कि वर्षा बरसाए था
बापू गाने सुनने बाबत
कर्णभाष ताईं बजरवा आवत
बीच में मेम थि रस्ता पूछत
इतना बवाल? लाहौल-बिला-कुव्वत
पेट में हाथी कूदा साला
घंटे छ: ना गया निवाला
मत रूठो ओ गुडिया बाला
डैडी ने देखो आखिर इस
कविता को तो पढ ही डाला
अब मुसकाओ शोना बच्चा
रूठो ना बन जाओ अच्छा
मळयाळम मे गुड्डा जी
बापू को बच्चे बोले है अच्चा.
अब से तुमहे मै बोलू गुड्डा
तुम मुझको बोलोगी अच्चा
चलो, मुसकुराओ मान भि जाओ
उठा कडाही तेल चढाओ
अच्चन दिल्ली आजाएंगे
झट से मिर्ची, आलू, प्याज़ के पकोडे बनाओ
खुद भी खाओ मुझे खिलाओ
:-) :d :p
ha ha ha ha ha ha........... Thank You Achcha....... I am speechless.
DeleteAap aao jaldi Dilli
main garam pakode banaungi
saath mein teekhi chatni se
aapke hosh udaaungi ...... :P
:)
ReplyDelete@adee s :)
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