विवेचना की उत्तेजना
झिंझोड़ देती है अस्तित्व
और रूह को भी,
आतंकित मस्तिष्क
का इन्कार,
संवेदनाओं का बहिष्कार
और इसके परे
ठंडा, सहमा, कुम्लाहा
बेजान दिल !!
धड़कने की कोशिश में
उड़ने लगा है ...
क्षितिज से बातें
करने लगा है....
कदम-दर-कदम
ज़िन्दगी की
एक नयी आपबीती.....।
अर्चना ~ 05-02-2014
झिंझोड़ देती है अस्तित्व
और रूह को भी,
आतंकित मस्तिष्क
का इन्कार,
संवेदनाओं का बहिष्कार
और इसके परे
ठंडा, सहमा, कुम्लाहा
बेजान दिल !!
धड़कने की कोशिश में
उड़ने लगा है ...
क्षितिज से बातें
करने लगा है....
कदम-दर-कदम
ज़िन्दगी की
एक नयी आपबीती.....।
अर्चना ~ 05-02-2014