किताबें जला कर
कुछ लोग कोशिश करते हैं
आक्रोश जलाने की
अंदर धधकती घुटन से
बाहर आने की
कि कुछ तो है जो परे है
इन किताबों के...
खून में तरबतर
कातिलाना अल्फाजों के
कि कुछ तो है जो
गला रुंधा देता है
बाहर आने की कोशिश में
धुआं धुआं जला देता है
राख में ढूंढते फिरते हैं
वो वज़ूद अपने किरदार का
किताबों को जलाकर
वो बन जाते हैं सिरा अखबार का..!
कुछ लोग कोशिश करते हैं
आक्रोश जलाने की
अंदर धधकती घुटन से
बाहर आने की
कि कुछ तो है जो परे है
इन किताबों के...
खून में तरबतर
कातिलाना अल्फाजों के
कि कुछ तो है जो
गला रुंधा देता है
बाहर आने की कोशिश में
धुआं धुआं जला देता है
राख में ढूंढते फिरते हैं
वो वज़ूद अपने किरदार का
किताबों को जलाकर
वो बन जाते हैं सिरा अखबार का..!
अर्चना ~ 08-10-2014
No comments:
Post a Comment