Tuesday, September 24, 2013

उड़ान

मुझे उड़ने के लिए
 पंख नहीं,
उड़ान चाहिए

मेरे शब्दों को
एक नयी
पहचान चाहिए

उड़ान जो अभी
भरी नहीं
शब्द जो अभी
कहे नही

ऊँची नीची पगडंडियों
को नापता मन
तत्पर है उड़ने को

अनकहे शब्दों में
अनछुए सपनो में 

दिए की लौ से
सूरज की किरणों तक
कुलाचे खाती उड़ान।

अर्चना ~ 23-09-2013

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