उस पार .......
है सतरंगी आसमान
मेरी कल्पनाओं की पहचान
मैं जाऊँगी उड़ते-उड़ते
पेड़, पहाड़ी, ताल नापते
मुझे पंख दे दो !!
अर्चना ~ 27-01-2014
है सतरंगी आसमान
मेरी कल्पनाओं की पहचान
मैं जाऊँगी उड़ते-उड़ते
पेड़, पहाड़ी, ताल नापते
मुझे पंख दे दो !!
अर्चना ~ 27-01-2014
Kaise Likh late ho aap... ):): bhot hi sundar kalpana hai aapki
ReplyDeleteThanks Anu :) Bas jo dimaag mein aata hai chaap deti hoon...... :)
ReplyDeleteबेकरार हूँ उड़ने को..आओ, मुझे भी पंख लगा दो ...
ReplyDelete