हवा की तरह आती हूँ
छूती हूँ तुम्हें, पर
नज़र कहाँ आती हूँ
मन की उलझन से उदास
तुम हताश, बेहताश
और.………
मैं नापूँ, सारा आकाश !!
अर्चना ~ 17-04-2014
छूती हूँ तुम्हें, पर
नज़र कहाँ आती हूँ
मन की उलझन से उदास
तुम हताश, बेहताश
और.………
मैं नापूँ, सारा आकाश !!
अर्चना ~ 17-04-2014
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