माँ याद तो तेरी आती है
तुझे गये
साल हो गये, पर
झिल -मिल तारों में अब भी
तेरी हँसी खनक जाती है
माँ याद तो तेरी आती है
बड़ी हो गयी हूँ
कितनी अब, पर
तेरी कहानियाँ चुपके से
सपनों में अब भी आती हैं
माँ याद तो तेरी आती है
हँसती हूँ
बातें करती हूँ, पर
शाम को जब सूरज ढलता है
आँखें रोज़ छलक जातीं हैं
माँ याद तो तेरी आती है
तू गयी नहीं है
यहीं कहीं है पर
तेरी गोदी में छिपने को
मेरी जान मचल जाती है
माँ याद तो तेरी आती है
अर्चना
11-05-2015
Excellent yar.
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