Sunday, March 29, 2015

पैसेंजर ट्रेन सी जिंदगी....

पैसेंजर ट्रेन सी जिंदगी
ना जाने और कितने
स्टेशनों से गुजरेगी 
रफ्तार थम गई है 
ट्रेन थक गई है 
धधकते कोयले 
धक्का देने को आमादा हैं
थकान का वजूद 
धुएं में उड़ रहा है 
ट्रेन का सिगनल 
दूसरे स्टेशन से 
जुड़ रहा है.....!

 ~ अर्चना 29-03-2015

No comments:

Post a Comment